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कैसे कवि कड़ी मेहनत करता है और स्कूल रेसिंग प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीतता है – How Kavi work hard and wins the first prize in school racing contest

कवि एक छोटे से गाँव का रहने वाला लड़का था। उसकी उम्र लगभग 12 साल थी और वह अपने माता-पिता का इकलौता संतान था। उसके पिता एक किसान थे और माँ गृहिणी। कवि बचपन से ही बहुत तेज दौड़ता था और उसे दौड़ने का बहुत शौक था। गाँव के लोग उसे ‘छोटा धावक’ कहकर बुलाते थे। उसका सपना था कि वह एक दिन बड़ा धावक बने और अपने गाँव का नाम रोशन करे।

गाँव में हर साल एक स्कूल रेसिंग प्रतियोगिता का आयोजन होता था, जिसमें गाँव के सभी बच्चे भाग लेते थे। कवि इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेना चाहता था और पहला पुरस्कार जीतना चाहता था। परंतु, इसके लिए उसे कड़ी मेहनत करनी पड़ती। कवि ने ठान लिया कि वह दिन-रात मेहनत करेगा और इस साल की प्रतियोगिता में अवश्य जीत हासिल करेगा।

कवि ने अपनी तैयारी शुरू की। हर सुबह वह जल्दी उठता और दौड़ने का अभ्यास करता। उसके पिता भी उसकी मेहनत देखकर बहुत खुश होते और उसे प्रोत्साहित करते। कवि ने अपने शरीर को मजबूत बनाने के लिए व्यायाम करना शुरू किया और अपनी दौड़ने की तकनीक में सुधार लाने के लिए हर रोज घंटों अभ्यास करता। वह अपनी डाइट पर भी ध्यान देता और पौष्टिक भोजन करता।

स्कूल में भी कवि की मेहनत की चर्चा होने लगी। उसके शिक्षक और दोस्त उसकी मेहनत और लगन की सराहना करते। लेकिन कुछ बच्चे उसे चिढ़ाते भी थे और कहते थे कि वह कभी नहीं जीत पाएगा। परंतु कवि ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहा। उसकी मेहनत और समर्पण ने उसे और भी दृढ़ बना दिया।

प्रतियोगिता का दिन आ गया। गाँव के स्कूल मैदान में सभी बच्चे और उनके माता-पिता जमा हुए थे। कवि का दिल तेजी से धड़क रहा था, परंतु उसने अपने आत्मविश्वास को बनाए रखा। उसने अपने पिता की दी हुई सलाह को याद किया, “कवि, मेहनत का फल मीठा होता है। तुम्हारी मेहनत जरूर रंग लाएगी।”

रेस शुरू हुई और सभी बच्चे दौड़ने लगे। कवि ने भी अपनी पूरी ताकत लगा दी और तेज दौड़ने लगा। उसके मन में सिर्फ एक ही बात थी, “मुझे जीतना है, मुझे अपने गाँव का नाम रोशन करना है।” दौड़ के दौरान, वह अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकलने लगा। उसके माता-पिता और शिक्षक उसे प्रोत्साहित कर रहे थे।

अंत में, कवि ने पहले स्थान पर दौड़ पूरी की। वह खुशी से झूम उठा और उसके माता-पिता की आँखों में गर्व के आँसू आ गए। सभी लोग उसकी प्रशंसा कर रहे थे। कवि ने अपने सपने को साकार कर दिखाया था। उसे स्कूल की तरफ से पहला पुरस्कार मिला और उसकी मेहनत का फल उसे मिल गया।

कवि ने अपनी जीत का श्रेय अपने माता-पिता, शिक्षकों और दोस्तों को दिया, जिन्होंने उसे हमेशा प्रोत्साहित किया। उसकी इस सफलता ने गाँव के अन्य बच्चों को भी प्रेरित किया और उन्होंने भी मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने का संकल्प लिया।

कवि की इस कहानी ने यह सिखाया कि मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उसकी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उसे सफलता दिलाई और उसने साबित कर दिया कि अगर हम अपने सपनों को पूरा करने के लिए पूरी मेहनत और लगन से प्रयास करें, तो हमें अवश्य सफलता मिलेगी।

Same Story In English (कैसे कवि कड़ी मेहनत करता है और स्कूल रेसिंग प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीतता है – How Kavi work hard and wins the first prize in school racing contest)

The poet was a boy from a small village. He was about 12 years old and was the only child of his parents. His father was a farmer and mother a housewife. The poet used to run very fast since childhood and was very fond of running. The people of the village called him ‘Chhota Runner’. His dream was to become a big runner one day and bring glory to his village.

Every year a school racing competition was organized in the village, in which all the children of the village participated. The poet wanted to take part in this competition and win the first prize. But, for this he had to work hard. The poet decided that he would work hard day and night and would definitely win this year’s competition.

The poet started his preparation. Every morning he would wake up early and practice running. His father would also be very happy to see his hard work and encourage him. The poet started exercising to strengthen his body and practiced for hours every day to improve his running technique. He also paid attention to his diet and ate nutritious food.

Kavi’s hard work started being discussed in school as well. His teachers and friends appreciated his hard work and dedication. But some children also teased him and said that he would never be able to win. But Kavi did not pay attention to their words and kept moving towards his goal. His hard work and dedication made him even more determined.

The day of the competition arrived. All the children and their parents had gathered in the village school ground. Kavi’s heart was beating fast, but he maintained his confidence. He remembered the advice given by his father, “Kavi, the fruit of hard work is sweet. Your hard work will definitely pay off.”

The race started and all the children started running. Kavi also put in all his strength and started running fast. There was only one thing in his mind, “I have to win, I have to bring glory to my village.” During the race, he started overtaking his competitors. His parents and teachers were encouraging him.

Finally, Kavi finished the race in first place. He was overjoyed and his parents were filled with tears of pride. Everyone was praising him. Kavi had made his dream come true. He got the first prize from the school and his hard work paid off.

Kavi attributed his victory to his parents, teachers and friends who always encouraged him. His success inspired other children in the village and they too resolved to work hard and move towards their goals.

Kavi’s story taught that any goal can be achieved with hard work and dedication. His hard work and determination brought him success and proved that if we work hard and diligently to fulfill our dreams, we will definitely get success.

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